1. दांतों के रोग :
• लगभग 25 ग्राम तिल को चबा-चबाकर खाने से दांत मजबूत होते हैं।
• मुंह में तिल को भरकर 5-10 मिनट रखने से पायरिया (मसूढ़ों से खून का आना) ठीक होकर दांत मजबूत होते हैं।
• काले तिल को पानी के साथ खाने से दांत मजबूत हो जाते हैं।
• लगभग 60 ग्राम काले तिल को चबाकर खा लें, इसके बाद एक गिलास ठंडा पानी लें। ऐसा प्रतिदिन करने से दांतों के रोग ठीक हो जाते है। लेकिन इसका प्रयोग करते समय गुड़-चीनी का सेवन न करें।
• तिल के तेल से 10-15 मिनट तक कुल्ला कुछ दिनों तक लगातार करने से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाते हैं और पायरिया भी ठीक हो जाता है।
• रुई के फोहे को तिल के तेल में भिगोकर मुंह में रखने से दांतों का दर्द नष्ट हो जाता है।
• पायरिया को ठीक करने के लिए तिल को चबाकर खाने से लाभ मिलता है।
• दांत हिल रहे हो तो काले तिल 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम खूब चबा-चबाकर खायें। इसका 15 से 20 दिन तक प्रयोग करने से दांतों के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
• दांतों के सभी प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए रोजाना सुबह दांतुन करने के बाद लगभग 30 ग्राम काले तिल को धीरे-धीरे खूब चबाकर खाएं और ऊपर से एक गिलास पानी पीयें। तिल में गुड़, चीनी आदि न मिलायें।
• दांत दर्द व मसूढ़ों की सूजन को ठीक करने के लिए तिल, चीता और सफेद सरसों को गर्म पानी के साथ पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें और इसे दांतों पर प्रतिदिन सुबह-शाम लगाएं।
2. कान के रोग :
• तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर, गर्म करके, उसकी बूंदे कानों में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
• बहरेपन का रोग दूर करने के लिए 50 मिलीलीटर तिल के तेल में लहसुन की 5 कली डालकर गर्म कर लें और छान लें तथा इसके बाद इसकी 2-3 बूंदे कान में डालने से लाभ मिलता है।
• बहरापन (कान से कम सुनाई) देने पर उपचार करने के लिए 25 मिलीलीटर काले तिल के तेल में लगभग 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें इसके बाद इस तेल को छानकर रोजाना 2-3 बार कान में डालने से अधिक आराम मिलता है।
• 40 मिलीलीटर हुलहुल के रस को 10 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाएं। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जायें तो इसे आग पर से उतार कर छान लें। इस तेल को कान में डालने से कान मे से मवाद बहना बंद हो जाता है।
• कान के कीड़े को मारने के लिए तिल के तेल की 2 से 3 बूंदे कान में डालें। इससे लाभ मिलेगा।
• तिल का तेल, धतूरे का रस, सेंधानमक, मदार के पत्ते और अफीम को कड़ाही में डालकर पका लें। जब पकने के बाद सब कुछ जल जाये तो उसे उतारकर और छानकर एक शीशी में भर लें। नीम के पत्तों और फिटकरी को पानी में डालकर पकाकर कान को इस पानी से पहले साफ कर लें। फिर बनाये हुये तेल की 5-6 बूंदे रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, कान का दर्द और बहरापन दूर हो जाता है।
• 125 मिलीलीटर तिल के तेल को 50 मिलीलीटर मूली के रस में मिलाकर पका लें। जब पकने के बाद तेल ही बच जाये तो उसे छानकर शीशी में भर लें। इसकी 2-3 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
• अजाझाड़ा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल, फूल) की राख को तिल के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
3. जख्म (घाव) :
• घाव को ठीक करने के लिए तिल के तेल में रूई से बने फोहे या कपड़े की पट्टी भिगोकर घावों पर बांधने से लाभ मिलता है।
• तिल को पीसकर शहद और घी मिलाकर उसे घावों पर लगाकर पट्टी बांधने से घाव ठीक हो जाते हैं।
• तिलों की पोटली (पुल्टिश) बनाकर घाव पर बांधने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
• तिल का तेल घावों पर लगाने से वे ठीक होने लगते हैं।
• पुराने घाव पर तिल की पट्टी बांधने से आराम मिलता है।
4. फोड़े-फुंसियां :
100 मिलीलीटर तिल के तेल में भिलावे मिलाकर पकाएं जब यह जल जाए तो इसमें 30 ग्राम सेलखड़ी को पीसकर मिला दें। इसका उपयोग फोड़ें-फुंसियों पर लगाने से लाभ मिलता है। इसके उपयोग से हर प्रकार के जख्म ठीक हो जाते हैं। इसको लगाने के लिए मुर्गी के पंख का उपयोग करना चाहिए।
5. नाक के रोग :
• काली मिर्च या अजवाइन को तिल के तेल में डालकर गर्म करें। इस तेल को नाक पर लगाकर मलने सें बंद नाक खुल जाती है।til Sesame-Seed-Cookies
• नाक की फुंसियों को ठीक करने के लिए तिल के तेल में पत्थरचूर के पत्तों के रस को मिलाकर नाक पर लगाएं।
6. एड़ियां (बिबाई) फटना :
• देशी पीला मोम 10 ग्राम और तिल का तेल 40 मिलीलीटर को मिलाकर गर्म करके पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बिवाई पर लगाने से लाभ मिलता है।
• तिल के तेल में मोम और सेंधानमक मिलाकर गर्म करें। इस तेल को फटी हुई एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ियों का फटना ठीक हो जाता है।
7. मासिकधर्म का रुक जाना (रजोलोप) :
• लगभग 8 चम्मच तिल, गुड़, 10 काली मिर्च को पीसकर मिला लें। इसे एक गिलास पानी में डालकर गर्म करें जब आधा पानी बच जाए तो इसे दूसरे बर्तन में रखकर ठंडा करें। मासिकधर्म आने के 15 मिनट पहले से मासिक स्राव तक रोजाना सुबह और शाम पीने से मासिकधर्म खुलकर आता है।
• लगभग 25 ग्राम तिल तथा एक ग्राम मिर्च के चूर्ण साथ दिन में 3 बार सेवन करने से मासिकधर्म खुलकर आता है।
• तिल, जौ का चूर्ण और चीनी को शहद में मिलाकर खाने से प्रसूता स्त्रियों में खून का बहना बंद हो जाता है।
• काले तिल, त्रिकुटा और भारंगी सभी की 3-3 मिलीलीटर मात्रा लेकर काढ़ा बनाकर गुड़ अथवा लाल शक्कर के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बंद मासिकधर्म खुल कर आता है।
• मासिकधर्म (माहवारी) आने में रुकावट होने पर तिल के पंचांग (जड़, तना, पत्ता, फल और फूल) का काढ़ा 60 मिलीलीटर या तिल का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
• तिल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से मासिकधर्म खुलकर आता है।
• तिल के काढ़े में सोंठ, कालीमिर्च और पीपल का चूर्ण मिलाकर पीने से मासिकधर्म की रुकावट दूर हो जाती है।
• काले तिल 10 ग्राम की मात्रा में 500 मिलीलीटर पानी के साथ कलईदार बर्तन में पकाएं। जब यह लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में बचे तो इसमें पुराना गुड़ मिला दें। मासिकधर्म शुरू होने से 5 दिन पहले सुबह के समय इसे पीने से मासिकधर्म शुरू हो जाएगा। ध्यान रहें कि मासिकधर्म आ जाने के बाद इसका सेवन न करें।
8. मासिकधर्म सम्बंधी परेशानियां :
• 5 ग्राम तिल, 7 दाने कालीमिर्च, एक चम्मच पिसी सोंठ, 3 दाने छोटी पीपल। सभी को एक कप पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इसे पीने से मासिकधर्म सम्बंधी शिकायतें दूर हो जाती है।
• 5 ग्राम काले तिल को गुड़ में मिलाकर माहवारी (मासिक) शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करना चाहिए। जब मासिकधर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर देना चाहिए। इससे माहवारी सम्बंधी सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
9. मस्तक का दर्द :
• तिल के पत्तों को सिरके या पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से माथे का दर्द कम हो जाता है।
• तिलों को दूध में पीसकर मस्तक पर लेप करने से मस्तक का दर्द ठीक हो जाता है।
10. नारू (बाला) :
तिल को खली में पीसकर लेप करने से नारू मिट जाता है।
11. आमातिसार (आंवयुक्त पेचिश):
• तिल के पत्तों को पानी में भिगोने से लुआब (लसदार) बन जाता है। इस लुआब का सेवन रोगी को कराने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
• तिल के पत्तों के लुआब में थोड़ा अफीम डालकर सुबह और शाम सेवन करने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
12. प्रवाहिका (पेचिश)
: 6 से 12 ग्राम तिल और कच्चे बेल के गूदे का मिश्रण दिन में सुबह और शाम लेने से लाभ होता है।
13. कब्ज :
• लगभग 6 ग्राम तिल को पीस लें, फिर इसमें मीठा मिलाकर खाने से कब्ज खत्म हो जाती है।
• तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
• 60 ग्राम तिल को कूटकर इसमें समान मात्रा में गुड़ मिलाकर खाने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
• तिल का छिलका उतारकर, मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर प्रत्येक दिन सुबह-सुबह खाने से मल (ट्टटी) का रूकना ठीक हो जाता है और कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• तिल की लकड़ी की छाल 5 से 10 ग्राम पीसकर पीने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
14. आंखों के रोग :
काले तिलों का ताजा तेल रोजाना सोते समय आंखों में डालते रहने से अनेक प्रकार के आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
15. बालों के रोग :
• तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों का रंग काला हो जाता है।
• काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
• तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी तथा शहद में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
• तिल के तेल की मालिश करने के 1 घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठंडा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सीने पर लपेट लें। इस प्रकार कम से कम 5 मिनट लपेटे रहने दें तथा इसके बाद ठंडे पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है तथा बालों के अन्य कष्ट भी खत्म हो जाते हैं।
• बालों को काला करने तथा बालों को झड़ने से रोकने के लिए प्रतिदिन तिल खाएं और इसके तेल को बालों में लगाएं। इससे बाल काले, लम्बे और मुलायम हो जाते हैं।
• काला तिल, सूखा आंवला, सूखा भृंगराज, मिश्री, चारों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन सुबह-शाम खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पी लें तथा इसके साथ-साथ ब्रहाचर्य जीवन का भी पालन 1 साल तक करें। इससे लाभ मिलेगा।
• 250 ग्राम काला तिल, 250 ग्राम गुड़ दोनों को सही तरह से कूटकर रख लें। इसमें से रोजाना 50 ग्राम चूर्ण को खाने से शरीर में ताकत आती है। इससे अधिक पेशाब नहीं लगता और सफेद बाल भी काले हो जाते हैं।
• बालों के झड़ने पर तिल का तेल लगाने से लाभ मिलता है और यह सिर को भी ठंडा रखता है।
• 10-10 ग्राम तिल के फूल, गोखरू नमक को एक साथ पीसकर मक्खन में मिलाकर बालों की जड़ में मालिश करने से बालों के सभी रोग मिट जाते हैं।
• सफेद तिल और चीते की जड़ और माठा (मठ्ठा) इन चारों औषधियों को मिलाकर पीने से पलित (बाल सफेद होना) रोग ठीक हो जाता है।
• तिल का लड्डू बनाकर खाने और सिर पर तिल के तेल से मालिश करने से बालों के रोग ठीक हो जाते हैं।
16. खांसी :
• तिल के लगभग 100 मिलीलीटर काढ़े में 2 चम्मच चीनी डालकर पीने से खांसी ठीक होने लगती है।
• 4 चम्मच तिल 1 गिलास पानी में मिलाकर इतना उबालें कि पानी आधा बच जायें। इसे रोजाना 3 बार पीने से सर्दी लगकर आने वाली सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
• यदि सर्दी लगकर खांसी हुई तो चार चम्मच तिल और इतनी ही मिश्री या चीनी मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें। इस पानी को पीने से खांसी ठीक होने लगती है।Potatoes-With-Sesame-Seeds-Rosemary-Paprika-Recipe-
• तिल के काढ़े में चीनी या गुड़ मिलाकर लगभग 40 मिलीलीटर रोजाना 3-4 बार सेवन करने से खांसी दूर हो जाती है। इस काढे़ को सुबह-शाम दोनों समय सेवन करने से लाभ होता है।
• सूखी खांसी में तिल के ताजा पत्तों का रस 40 मिलीलीटर रोजाना 3-4 बार पीने से अधिक लाभ मिलता है।
17. खूनी अतिसार (खूनी दस्त) :
• 10 ग्राम काले तिल को पीसकर उसमें 20 ग्राम चीनी और बकरी का दूध 40 मिलीलीटर मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।
• 40 ग्राम काले तिलों को 10 ग्राम चीनी में मिलाकर लें। इसमें लगभग 3-6 ग्राम की मात्रा में मिलाकर दिन में 3 बार लेना चाहिए। इससे दस्त के साथ खून का आना बंद हो जाता है।
• तिल को पीसकर, मक्खन में मिलाकर खाने से खूनी अतिसार में लाभ होता है।
Comments